Friday, June 5, 2009

जय हो: बैले और भरतनाट्यम

ग्रीष्म काल के आगमन के साथ ही यहाँ अमेरिका में विभिन्न विद्यालयों के सत्र समाप्ति की ओर हैं। इसी क्रम में हमारी पुत्री के नृत्य कक्षाओं का भी समापन गत सप्ताह हुआ। हमारी बिटिया रानी भी दो विभिन्न नृत्य विद्यालयों में पश्चात् और भारतीय नृत्य शैलियाँ सीख रहीं हैं। पश्चात शैलियों में जहाँ वो बैले, जैज़ और टैप सीखती हैं वहीं भारतीय नृत्य शैली में भरतनाट्यम के पाठ्यक्रम में दीक्षा प्राप्त कर रहीं हैं। यह नृत्यशालाएं अपने सत्रांत एक रंगारंग कार्यक्रम से करती हैं।

पिछला सप्ताहांत पुर्णतः इन्ही नृत्य कार्यक्रमों के नाम रहा। शनिवार को हमारी पुत्री के पश्चात् नृत्यशाला का कार्यक्रम था और रविवार को भरतनाट्यम का... इन कार्यक्रम में सबसे ज्यादा आश्चर्य मुझे बॉलीवुड और भारतीय प्रभाव देखकर हुआ।

शनिवार को हुए कार्यक्रम में आमतौर पर बैले, जैज़, हिप-हॉप और टैप के प्रदर्शन होता आया हैं। कम से कम पिछले तीन साल तो यह ही क्रम था। किंतु इस बार मैंने उन्हें बॉलीवुड डांस की नयी शैली के नाम से भारतीय फिल्मी गानों पर भी प्रदर्शन करते देखा। यह बात अलग थी के इसमे नृत्य करने वाले अधिकतर बच्चे भारतीय ही थे पर मैं एक दो विदेशी बच्चों को भी इन गानों पर नाचते हुए देखकर दंग था। इस कार्यक्रम के अन्य नृत्यों में भाग लेने वाले बच्चे तो अमेरिकी मूल के ही थे अतः अधिकतर दर्शक भी विदेशी ही थे पर मज़ा तो यह देखकर आया कि 'मौजा ही मौजा ' और 'देसी-गर्ल' पर वे भी सभी झूम रहे थे....और इस कार्यक्रम के सबसे मजेदार क्षण था जब 'जय हो' पर बैले हुआ। दर्शक भी जय हो का राग अलापते हुए दिखे....

रविवार की शाम हमारी पुत्री के भरतनाट्यम का प्रदर्शन था। भरतनाट्यम का यह हमारा पहला साल था क्योकि हमारी बिटिया ने इसी साल से इसकी शुरुआत की हैं। श्रीमती चौला थक्कर का जो हमारी पुत्री की शिक्षिका हैं वैसे तो काफी प्रसिद्द हैं। उन्होंने अपने नंदाता नमक संस्थान से कई कार्यक्रमों को करके इस इलाके में नाम कमाया हैं। फ़िर भी जब मैं ऑडिटोरियम में प्रविष्ट हुआ तो केवल देसी जनता को देखने की उम्मीद कर रहा था परन्तु दर्शकों में अमेरिकी साथियों को देख बड़ी हर्षानुभूति हुई। यहाँ तक कि नृतक एवं नृतयांगानाओ में भी प्रचुर मात्र में अमेरिकी थे। कार्यक्रम कि शुरुआत तो आशानुरूप गणेश वंदना, कृष्ण राधा आदि धार्मिक और शास्त्रीय भरतनाट्यम के नृत्यों से हुई किंतु अंत में जाते-जाते कुछ फिल्मी गीतों पर भी भरतनाट्यम हुआ। अधिकतर फिल्मी गीत तो भक्ति भावः से ओत प्रोत थे जैसे एक राधा -एक मीरा, श्याम तेरी बंसी इत्यादी किंतु अन्तिम गीत था जय हो.... एक बार फ़िर पहले जय हो पर तेज गति से होता भरतनाट्यम देखकर मंत्रमुग्ध हुए और फ़िर अपने गैर-देसी दर्शको को उस गाने पर झूमते हुए देखकर....

जय हो वैसे तो पहले-पहल मुझे रहमान के कई गीतों के मुकाबले कम पसंद था पर इन दो दिनों में इसका प्रभाव देखकर हमारी भी जुबान पर चढ़ गया हैं..... अब तो हम भी यह ही कह रहें हैं बॉलीवुड जय हो !! रहमान जय हो!!! और गुरुभाई गुलज़ार जय हो!!!

गुरुभाई गुलज़ार क्यों - यह चर्चा कभी और पर आज तो जय हो!!

आनंदित
अप्रवासी

2 comments:

admin said...

अच्‍छा लगा आपके विचार जानकर।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Alpana Verma said...

programme ke bare mein padhkar khushi hui ki Americans bhi indian dance aur music mein interest lete hain.
Hidi film aur music ka videshon mein kafi prabhaav hai.

'Jai ho 'par bharatnatyam..!!!!!naya prayog hua.

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