Wednesday, August 12, 2009

विदेशी बाबाओं और तांत्रिकों का खेल

आज थोडी देर पहले यह ख़बर पढ़ी कि ब्रिटेन में बसने वाले तांत्रिक, ओझाओं और बाबाओं की अब खैर नहीं और उनके विरूद्व कड़ी कार्यवाही की जायेगी। मन ने हर्ष से किसी उच्छृंखल मृग की तरह कुचालें भरनी शुरू कर दी कि चलिए भारतीयता और पुरातन शास्त्र के ज्ञानी होने के दंभ भरने वाले इन पोंगा पंडितों की ठगी की दूकान तो बंद होगी और और हमारे पुरातान ज्ञान को कुलषित करने इन व्यवसायियों से वैश्विक समाज को मुक्ति मिलेगी। किंतु स्वार्थी मन ने तुरंत ही मानस पटल पर उछलती हर्ष तरंगों में व्यवधान ड़ाल दिया कि अगर यह बाबा लोग नहीं रहेंगे तो जी टीवी, स्टार प्लस आदि चैनलों पर आने वाले धारावाहिकों को प्रायोजित कौन करेगा? इनके आभाव में तो सारा तारतम्य ही बिगड़ जाएगा, हमारी पत्नी और माता जी फ़ोन पर किस विषय पर वार्ता करेंगी, तमाम मित्र-मण्डली के मिलने पर यदि सारी सखियाँ धारावाहिक की कहानियों से विहीन होंगी तो फ़िर तो सिर्फ़ शौपिंग जैसे खर्चीले विषयों पर चर्चा करेंगी या हम पतियों के विषय में...दोनों ही खतरनाक हैं .... इन सभी बाबाओं (चाहे वे अजमेरी बाबा हों या फ़िर पंडित महाराज) के आस्तित्व से समाज में, परिवार में एक व्यवस्था बनी हुई हैं... जिसके मिटने से कई दुविधाग्रस्त स्थितियां आ जाएँगी। सामाजिक कल्याण और पारिवारिक शान्ति के बीच के चयन की स्थिति आम-तौर पर तो सहज ही होती हैं (भाई, परिवार रहा तो समाज रहेगा ) किंतु मन के ऊँट ने कई करवटें बदल कर समाज कल्याण का रुख किया....

सच, इस तरह की दुकाने सिर्फ़ भय और भविष्य के दिवास्वप्न पर ही पलती हैं। कई बार व्यक्ति हताशा और असफलताओं के ऐसे दुष्चक्र में फंसा होता हैं कि डूबते को तिनके का सहारा वाली आस के साथ इन महानुभावों के जंजाल में फंस जाता हैं। भारत में ही कितने कांड अक्सर ही सुनने को मिल जातें हैं। लोग जलती चिता नहीं छोड़कर आते हैं, लाशें कब्र से खोद कर निकल लेते हैं, बच्चों को चुरा के नरबलि जैसी घृणित कृत्यों की कितनी कहानियाँ मिल जाती हैं। हमारे भी एक सहयोगी ने इन बाबाओं के चक्कर में कई हजार डॉलर फूँक डाले थे। उनकी कहानी भी फोर्ड से नौकरी जाने से हुई। कहते हैं कि बुरा वक्त हर तरफ से घेरकर आता हैं... उस बिचारे के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ, उसकी कार का एक्सीडेंट हुआ, फ़िर उनकी पत्नी का गर्भपात भी हो गया। उनको लगा कि किसी ने गाँव से भूत प्रेत हांक दिया हैं (क्योंकि दुर्भाग्य से वे नौकरी जाने से पहले भारत में अपने गाँव होकर आए थे)। उनके इस विचार की पुष्टि उनके गाँव में रहने वाले वृद्ध पिताजी ने भी यह कह कर दी कि हाँ हमारे पट्टीदार (रिश्तेदार) ऐसा कर सकते हैं। फ़िर क्या था, जी टीवी पर आने वाले एक बाबा की शरण में वे जा पहुंचे और बाबा ने १४ दिनों में स्थिति सुधार का गारंटी वाला वादा करके पूजा शुरू कर दी (और उनसे अच्छे खासे पैसे भी वसूले। इन बाबा का धाम तो ब्रिटेन में था, सो उन्होंने आनन-फानन पैसा भिजवाया। १ माह बाद भी जब हमारे मित्र की नौकरी नहीं लगी, तो उन्होंने बाबा से फ़िर दूरभाषीय आशीष लिया। बाबा ने बताया कि यह कोई साधारण भूत नहीं हैं , कोई बलशाली जिन्न हैं और बाबा को १४ दिन की और तपस्या करनी पड़ेगी....समाधान वही कि पैसा भेजो और २१ ब्राह्मण को भोजन कराओ, सफ़ेद वास्तुओं का अपने वजन के हिसाब से दान करो इत्यादि। बाबा ने कई दिनों तक हमाए बंधू को इन्ही टोने-टोटकों से व्यस्त रखा। अब यह इकोनोमी तो बाबा के जिन्न से भी बड़ी चीज निकली, सीधी होती ही नहीं थी तो नौकरी कहाँ से लगती... इसके चलते तो कई और जिन्न पनप गए होंगे... तो हमारे मित्र की भी नौकरी नहीं लगी। कई हजार की चपत के बाद हमारे बंधू अपनी अंध-विश्वास की निद्रा से जागें तो उन्हें अहसास हुआ कि कोई और नहीं बाबा रुपी जिन्न ही उनके पल्ले पड़ गया हैं। अब मुक्ति के उपाय से ज्यादा उन्हें अपने स्थिति सुधार की गारंटी पर खर्च किए पैसे याद आए। उन्होंने फ़िर बाबा का नम्बर खडकाया कि बाबा कुछ हो नहीं रहा हैं अब आप पैसे वापस करो। बाबा ने किसी स्टोर के मिंजर की तर्ज पर एक फ्री पूजा ऑफर थमा दिया। एक माह बाद जब फ्री पूजा से भी बात नहीं बनी तो हमारे मित्र ने बाबा को फ़िर गारंटी याद दिलाने के लिए फ़ोन किया। अब बाबा भी जान चुके थे कि यह चेला हाथ से निकल चुका, अब यह गाय दुधारू नहीं रही, सो बाबा अन्य कामो में व्यस्त होगए । हमारे मित्र कई दिनों तक बाबा को पकड़ने के लिए दूरभाष कंपनियों के लाभांश बढाते रहे। फ़िर एक दिन जब उनकी बची-खुची खुमारी भी उतर चुकी थी तब उन्होंने तैस में आकर गारंटी वाले पैसे बाबा के फ़ोन का जबाब देने वाले चेले से ही मांग डाले। उसके बाद तो बाबा का रूप ही बदल गया। हमारे मित्र के अगले काल पर बाबा ने उससे बात की और यह धमका डाला कि मेरे पास तेरे वाले जिन्न से भी बड़े जिन्न हैं... तेरी जो एक बच्ची बची हैं में उसको भी छीन लूँगा....उसके बाद से हमारे मित्र एकदम शांत हो गए... अभी हाल में ही भारत लौट भी गए....

पर आप ही बताएं ऐसे बाबा को चुंगल में कितने लोग फंसे होंगे। ऐसे बाबाओं की दूकान बंद होने में ही भलाई हैं।

4 comments:

Unknown said...

aapne ek atyant matavpoorna vishya par saarthak aur vichaarottejak aalekh likh kar saraahneeya srijan kiya hai........

aapka abhinandan !

anuradha srivastav said...

सही फरमाया जितना इनसे दूर रहा जाये वह बेहतर है। हमारे यहां ऐसे किसी भी फरमान पर जो बवाल मचेगा उसकी कल्पना सहज ही करी जा सकती है।

anuradha srivastav said...

सही फरमाया जितना इनसे दूर रहा जाये वह बेहतर है। हमारे यहां ऐसे किसी भी फरमान पर जो बवाल मचेगा उसकी कल्पना सहज ही करी जा सकती है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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